रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक अहम आदेश पारित करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों में ग्राम सभा को संसाधनों पर अधिकार देने वाले पेसा नियम (PESA Rules) की अधिसूचना जारी होने तक किसी भी लघु खनिज खदान की नीलामी न की जाए। अदालत के इस आदेश के बाद फिलहाल जिलों में चल रही बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया रुक जाएगी। मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया।
अदालत की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव ने जिम्मेदारी मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों पर डालने का प्रयास किया। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा- क्या आप चाहते हैं कि हम मुख्यमंत्री और मंत्रियों को जेल भेज दें? यही आप सुझाव दे रहे हैं। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार 73वें संविधान संशोधन की मंशा को कमजोर कर रही है, जबकि अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों में भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर ग्राम सभाओं को अधिकार दिया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता का पक्ष
यह मामला आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से दाखिल अवमानना याचिका से जुड़ा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि राज्य सरकार जानबूझकर पेसा नियमों को अधिसूचित करने में देर कर रही है और इस बीच बालू घाटों व अन्य खदानों की दीर्घकालिक नीलामी कर रही है।
अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद
हाईकोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह का समय देने से इनकार करते हुए केवल दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके बाद मामले की सुनवाई होगी।