04 अगस्त 2025, सरायकेला: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक, पूर्व अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री और जनसंघर्षों के अग्रदूत दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर झामुमो छात्र इकाई के सरायकेला-खरसवां जिलाध्यक्ष सुदामा हेम्ब्रम ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि झारखंड की राजनीति ने आज एक ऐसा स्तंभ खो दिया है, जिसकी भरपाई संभव नहीं। सुबह 8:56 बजे दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद शिबू सोरेन का निधन हो गया। वे कई महीनों से गुर्दा रोग और स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे थे। सुदामा हेम्ब्रम ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा दिशोम गुरु केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक आंदोलन, एक विचारधारा और झारखंड की आत्मा थे। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन आदिवासियों, दलितों, गरीबों और वंचितों के अधिकारों की लड़ाई में समर्पित कर दिया।
उन्होंने कहा कि जल, जंगल और जमीन को लेकर जो आंदोलन शिबू सोरेन ने खड़ा किया, उसी ने झारखंड राज्य के निर्माण की बुनियाद रखी। सामाजिक न्याय, पहचान और अधिकार की लड़ाई में उनका योगदान युगांतकारी रहा। सुदामा हेम्ब्रम ने कहा कि शिबू सोरेन के नेतृत्व में झारखंड की जनता ने संघर्ष करना सीखा, संगठित होना सीखा, और राजनीतिक चेतना की नई इबारत लिखी। उनकी राजनीतिक विरासत, न सिर्फ उनके पुत्र मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक सीमित रही, बल्कि यह पूरी पीढ़ी के लिए एक आदर्श बन गई है,” उन्होंने कहा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, झामुमो कार्यकर्ताओं, परिवारजनों और शुभचिंतकों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि आज झारखंड ने अपना सबसे बड़ा राजनीतिक पथप्रदर्शक और मार्गदर्शक खो दिया है। दिशोम गुरु की कमी हमेशा खलेगी, लेकिन उनका संघर्ष और विचार हमारी प्रेरणा बना रहेगा।