ईचागढ़(सरायकेला): ईचागढ़ प्रखंड के अनुग्रह नारायण प्लस टू उच्च विद्यालय, पिलीद की प्रभारी प्रधानाध्यापिका मिताली कुमारी को लेकर शिक्षा महकमे में एक बार फिर उबाल है। सवाल यह नहीं कि मिताली कुमारी पर कितने आरोप हैं, सवाल यह है कि इतने सबूतों और शिकायती पत्रों के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? और यदि हो भी रही है, तो केवल उन शिक्षकों पर जो उनके खिलाफ आवाज़ उठाते हैं? मिताली कुमारी स्कूल में संस्कृत विषय की शिक्षिका हैं, लेकिन स्कूल में संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों की संख्या लगभग नगण्य है। बावजूद इसके, वे वर्षो से प्रभारी प्रधानाध्यापिका की कुर्सी पर बनी हुई हैं। यह अकेला तथ्य ही शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
विवादों में मिताली का नाम नया नहीं, लेकिन कार्रवाई शून्य
मिताली कुमारी के खिलाफ पहले भी शिकायतें होती रही हैं। कभी छात्रों से नामांकन के नाम पर मनमानी फीस वसूली, तो कभी प्रैक्टिकल परीक्षा के नाम पर पैसे मांगने की शिकायतें सामने आई हैं। इन मामलों में छात्रों और अभिभावकों ने बाकायदा सबूतों के साथ जिला प्रशासन से गुहार भी लगाई थी, लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात। कुछ दिनों पहले मिताली कुमारी का एक डांस वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ। वीडियो में वे फिल्मी गाने ‘तम्मा-तम्मा’ पर नाचते नजर आईं। वीडियो ने स्कूल और शिक्षा व्यवस्था की साख पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। लेकिन कार्रवाई की जगह, वीडियो को नज़रअंदाज़ कर दिया गया और मिताली कुमारी को ‘डांसर मैडम’ की उपाधि मिल गई।
जिन्होंने विरोध किया, वो या तो हटा दिए गए या खुद हट गए
इस पूरी प्रकरण में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि मिताली के खिलाफ आवाज उठाने वाले शिक्षकों को ही निशाना बनाया गया। शिक्षिका सुश्री बबिता हो का तबादला उच्च विद्यालय कुटाम, ईचागढ़ कर दिया गया। शिक्षक प्रशांत धारा को सप्ताह में तीन दिन खरसावां के कस्तूरबा विद्यालय में प्रतिनियुक्त कर दिया गया। वहीं कृषि (विटी) विषय के शिक्षक अंशु कुमार ने त्यागपत्र दे दिया। इससे पहले वर्ष 2022 में गुनाधार महतो और मुकेश साव जैसे शिक्षकों का भी ट्रांसफर मिताली की ‘सेटिंग’ के चलते हुआ था।
विद्यालय में पढ़ाई से ज्यादा चल रही राजनीति
विद्यालय अब शिक्षा का केंद्र कम और साजिशों का अखाड़ा ज्यादा बनता जा रहा है। लगातार शिक्षकों का तबादला, प्रतिनियोजन और इस्तीफों की वजह से स्कूल में शिक्षकों की संख्या घटती जा रही है। छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने अब तक इस पूरे मामले पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। इससे छात्र, स्थानीय जनता और शिक्षक समुदाय में नाराजगी है। लोगों का मानना है कि मिताली कुमारी को ऊपरी संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
अभिभावक और ग्रामीण करेंगे विरोध प्रदर्शन
अब ग्रामीण और अभिभावक भी लामबंद होने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में स्कूल परिसर में धरना-प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है। मिताली को हटाने के लिए रणनीति बन चुकी है। लोग कह रहे हैं कि अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन उग्र हो सकता है। मिताली कुमारी केवल एक शिक्षिका नहीं, अब एक प्रतीक बन गई हैं। उस सिस्टम का प्रतीक जो योग्य शिक्षकों को प्रताड़ित कर चुप कर देता है और विवादों से घिरी एक शिक्षिका को संरक्षण देता है। सवाल वही बना हुआ है क्या शिक्षा अब संरक्षण और पहुंच का खेल बन गई है? और आखिर मिताली कुमारी को बचाने वाला है कौन?