पाकुड़ : ज़िले में अवैध खनन और ओवरलोड परिचालन पर नकेल कसने के लिए उपायुक्त मनीष कुमार ने लगातार खनन विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करते हैं आज भी खनन के साथ बैठक में उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि पत्थर खनन और परिवहन नियमों के अनुसार हो, अवैध गतिविधियों पर रोक लगे और नियम तोड़ने वालों के ख़िलाफ़ सघन अभियान चलाया जाए।
लेकिन जमीनी हकीकत प्रशासनिक आदेशों से बिलकुल विपरीत है।
पाकुड़ की सड़कों पर प्रतिदिन सैकड़ों ओवरलोड ट्रक बेखौफ़ दौड़ रहे हैं। चेकपोस्ट और पुलिस थाना के पास से गुजरने के बावजूद इन्हें रोकने की कोई कोशिश नज़र नहीं आती।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह कारोबार ऊपर से नीचे तक की मिलीभगत के बिना संभव ही नहीं है।
एक ग्रामीण ने बताया –
“हम रोज़ देखते हैं कि रात में ट्रक लाइन बनाकर निकलते हैं। पुलिस चौकी और चेकपोस्ट सबके सामने गाड़ियां जाती हैं, लेकिन कोई रोकता तक नहीं। अगर आम आदमी एक साइकिल पर पत्थर लेकर पकड़ा जाए तो तुरंत कार्रवाई होती है, मगर ट्रक वालों पर कोई हाथ नहीं डालता।”
वहीं दूसरे ग्रामीण ने आरोप लगाया –
“यह पूरा खेल अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है। हर ट्रक का रेट तय है। जब तक प्रशासन ईमानदारी से कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक यह धंधा कभी नहीं रुकेगा।”
प्रशासन बार-बार बैठक और निर्देशों का हवाला देता है, लेकिन हकीकत में नतीजा शून्य है। सवाल यह है कि जब खुद उपायुक्त लगातार आदेश जारी कर रहे हैं, तो आखिर किस दबाव या साठगांठ के चलते अवैध खनन और ओवरलोड परिवहन धड़ल्ले से जारी है?
जिला प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता ने अब सरकार की मंशा और व्यवस्था दोनों पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।