पाकुड़ जिले में जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) फंड से होने वाले विकास कार्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायतें सामने आ रही हैं। आरोप है कि अब टेंडर प्रक्रिया पूरी तरह “मैनेजमेंट” का खेल बन चुकी है।
पहले खुली प्रतिस्पर्धा, अब चुनिंदा ठेकेदार
जानकारी के अनुसार, कुछ साल पहले तक टेंडर प्रक्रिया में दर्जनों संवेदक (ठेकेदार) बोली लगाने आते थे। लेकिन अब हालात यह हैं कि केवल चुनिंदा लोगों को ही मौका दिया जा रहा है। कई पुराने संवेदकों को साफ कह दिया जाता है कि – “इस बार तुम्हारा नंबर नहीं।”
सूत्रों का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया को कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा मैनेज कर लिया जाता है और मोटी रकम लेकर अपने चहेते ठेकेदारों को ही काम सौंपा जाता है।
35 योजनाओं में ‘मैनेजमेंट’
हाल ही में पाकुड़िया प्रखंड में 35 अलग-अलग योजनाओं के लिए टेंडर निकाले गए। उम्मीद थी कि बड़ी संख्या में ठेकेदार मैदान में उतरेंगे, लेकिन यहाँ भी वही कहानी दोहराई गई –
औपचारिकता के लिए कुछ चुनिंदा ठेकेदारों से ही टेंडर भरवाए गए।
पहले एक-एक काम पर दर्जनों बोली लगती थी, अब गिनती के ठेकेदार ही शामिल हो रहे हैं।
ईमानदार ठेकेदार हाशिए पर
इस पूरे खेल से जिले के ईमानदार और सक्षम ठेकेदार पूरी तरह हाशिए पर चले गए हैं। सवाल यह है कि जब ठेके पहले से मैनेज हो जाएंगे, तो काम की गुणवत्ता और पारदर्शिता की गारंटी कौन देगा?
घोटाले की बू
फिलहाल DMFT फंड से चल रहे विकास कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। ज़मीनी हकीकत यह है कि काम की जगह “मैनेजमेंट” ही ठेके का असली पैमाना बन चुका है। इससे साफ है कि पाकुड़ जिले में विकास की आड़ में टेंडर घोटाले का बड़ा खेल चल रहा है।