सरायकेला : कुकड़ू प्रखंड में एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत सामने आई है। शनिवार को पीएम श्री उच्च विद्यालय ईचाडीह में अध्ययनरत कक्षा 9 के छात्र तरुण कुमार की अचानक तबीयत बिगड़ गई। क्लास के दौरान ही वह अचेत हो गया और उसकी सांसें उखड़ने लगीं। स्थिति गंभीर हो गई थी। घटना के बाद स्कूल प्रबंधन ने तत्काल 108 नंबर पर कॉल कर एंबुलेंस सेवा की मांग की, लेकिन हैरानी की बात रही कि कुकड़ू प्रखंड क्षेत्र में उस समय कोई सरकारी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी। जब तिरुलडीह थाना से संपर्क किया गया, तो वहां से जवाब मिला कि उनके पास मौजूद एंबुलेंस में ऑक्सीजन की सुविधा नहीं है। इस बीच शिक्षकों ने छात्र को होश में लाने के लिए सीपीआर और ओरल रेस्पिरेशन की प्रक्रिया अपनाई, लेकिन जब कोई सुधार नहीं हुआ, तो अंततः आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव सह समाजसेवी हरेलाल महतो द्वारा प्रदत्त निजी एंबुलेंस का सहारा लिया गया। स्कूल प्रबंधन ने अपने स्तर से उसमें तेल भरवाया और छात्र को ईचागढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया। वहां डॉक्टरों ने तत्परता से इलाज शुरू किया, जिससे छात्र की हालत में सुधार आया और अब वह खतरे से बाहर बताया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का यह एक और उदाहरण है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह अकेली घटना नहीं है, बल्कि कुकड़ू जैसे सीमावर्ती और दूरस्थ प्रखंडों में यह एक आम समस्या बन चुकी है। 108 जैसी आपातकालीन सेवा की अनुपलब्धता किसी भी समय बड़ी जानलेवा घटना का कारण बन सकती है। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से मांग की है कि प्रखंड स्तर पर तत्काल एंबुलेंस सेवा की बहाली की जाए तथा सभी एंबुलेंस में ऑक्सीजन जैसी बुनियादी सुविधा सुनिश्चित की जाए। साथ ही, यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग को दूरदराज़ के ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं मजबूत करनी चाहिए, ताकि अगली बार किसी मासूम की जान केवल लापरवाही की भेंट न चढ़े।
तिरुलडीह पीएचसी का 108 एम्बुलेंस 6 माह से है ख़राब
तिरुलडीह पीएचसी में उपलब्ध 108 सरकारी एंबुलेंस पिछले छह महीनों से खराब हालत में खड़ी है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से अब तक उसकी मरम्मत तक नहीं कराई गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस संबंध में कई बार शिकायत भी की गई, लेकिन न तो स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान लिया और न ही कोई जवाबदेही तय की गई है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि अगर कोई आपात स्थिति होती है, तो ग्रामीण किस पर भरोसा करें?