पाकुड़ : झारखंड के पाकुड़ जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। यहां दर्जनों अवैध अस्पताल और क्लिनिक न सिर्फ खुलेआम संचालित हो रहे हैं, बल्कि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने का अड्डा बन चुके हैं। जिला मुख्यालय में ही करीब दो दर्जन अवैध नर्सिंग होम और क्लिनिक चल रहे हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों में भी फर्जी डॉक्टरों का यह कारोबार तेजी से फैल चुका है।
मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़
स्थानीय लोगों का कहना है कि इन क्लिनिकों में न तो प्रशिक्षित डॉक्टर हैं और न ही मानक सुविधाएं। फिर भी बाहर बड़े-बड़े बोर्ड टांगकर खुद को हड्डी रोग विशेषज्ञ, गायनी विशेषज्ञ, जनरल फिजीशियन और शिशुरोग विशेषज्ञ बताते हैं। अनपढ़ और गरीब मरीज इन जालसाजों के चक्कर में फंस जाते हैं और इलाज के नाम पर हजारों रुपये खर्च कर देते हैं। कई मामलों में मरीजों की तबीयत और बिगड़ जाती है, लेकिन प्रशासन की ओर से कार्रवाई की कोई पहल नहीं दिखती।
शहर के बीचोंबीच अवैध नर्सिंग होम
पाकुड़ शहर में चार बड़े नर्सिंग होम ऐसे हैं, जो बिना अनुमति धड़ल्ले से चल रहे हैं :
बस स्टैंड के पास, पुलिस लाइन के बगल, पब्लिक स्कूल रोड, तलवाडांगा
के निकट यदि स्थानो में
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब ये नर्सिंग होम बस स्टैंड और पुलिस लाइन जैसे संवेदनशील और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में चल रहे हैं, तो स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को इनकी जानकारी न होना संभव ही नहीं है।
प्रशासन पर सवाल
जिले के लोग पूछ रहे हैं कि आखिर स्वास्थ्य विभाग क्यों चुप है? क्या इन अवैध क्लिनिक संचालकों को प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है? अगर नहीं, तो अब तक इन पर कोई बड़ी कार्रवाई क्यों नहीं हुई? यह भी सवाल उठ रहा है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने पर अवैध नर्सिंग होम और क्लिनिक कैसे फल-फूल सकते हैं।
लोगों की आवाज़
एक स्थानीय निवासी ने बताया –
“हमारे इलाके में कई लोग इन नर्सिंग होम में इलाज करवाकर और बीमार हो गए। यहां दवाएं भी घटिया क्वालिटी की दी जाती हैं। लेकिन गरीब आदमी मजबूरी में यहीं जाता है, क्योंकि सरकारी अस्पताल में डॉक्टर मिलना मुश्किल है।”
वहीं एक और ग्रामीण ने कहा –
“प्रशासन की मिलीभगत के बिना यह संभव ही नहीं है। हर क्लिनिक का अपना रेट तय है। स्वास्थ्य विभाग सिर्फ दिखावे के लिए कभी-कभार जांच करता है, लेकिन उसके बाद सबकुछ वैसे का वैसा ही चलने लगता है।”
बड़ा खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के फर्जी क्लिनिक और अस्पताल न केवल आर्थिक शोषण कर रहे हैं, बल्कि यह लोगों की जिंदगी के साथ भी खिलवाड़ है। गलत दवाइयों और बिना प्रशिक्षित हाथों से किए गए इलाज से मरीजों की मौत तक हो सकती है।
अब सवाल
पाकुड़ जिले में प्रशासन लगातार अवैध खनन, ओवरलोड ट्रकों और भ्रष्टाचार की शिकायतों से घिरा रहता है। अब अवैध अस्पताल और क्लिनिकों का मामला सामने आने से साफ है कि जिले में कानून और नियमों की धज्जियां खुलेआम उड़ाई जा रही हैं।
सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इन क्लिनिकों पर जल्द कार्रवाई करेगा या फिर यह गोरखधंधा इसी तरह चलता रहेगा और आम लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ी रहेगी?