बूंद-बूंद पानी की जद्दोजहद चापा गांव में पीने के पानी के लिए घंटों इंतज़ार

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पाकुड़: झारखंड के पाकुड़ ज़िले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड का चापा गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। यहां लोगों को पीने का साफ पानी तक उपलब्ध नहीं है। गांव में एक भी चापाकल नहीं है और केवल एक पुराना कुआं ही ग्रामीणों का सहारा है। लेकिन इस कुएं से भी पानी बेहद धीमी गति से निकलता है। ग्रामीणों का कहना है कि अक्सर एक बाल्टी पानी भरने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। आदिम जनजाति समुदाय के लोग बताते हैं कि पानी की कमी के कारण उन्हें 10-15 दिन में एक बार ही नहाने का मौका मिल पाता है। कुछ लोग पानी की कमी से तंग आकर दो किलोमीटर दूर रोलडीह गांव जाकर चापाकल से पानी लाने को मजबूर हैं।

सड़क और योजनाओं की अनुपस्थिति ने बढ़ाई परेशानियां

गांव तक पहुंचने के लिए सड़क की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। ग्रामीण बताते हैं कि झारखंड राज्य बनने के दो दशक बाद भी चापा गांव में न सड़क, न चापाकल और न ही पर्याप्त कुएं जैसी बुनियादी सुविधाएं मिल पाई हैं। केंद्र और राज्य सरकारें ‘जलशक्ति अभियान’ जैसी योजनाओं के ज़रिए जल संरक्षण और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का दावा करती रही हैं। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि इन योजनाओं का लाभ चापा गांव तक नहीं पहुंच पाया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि चाहे झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की सरकार रही हो या भारतीय जनता पार्टी (BJP) का शासन, किसी ने भी गांव की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया।

गांव के एक पहाड़िया आदिवासी ने कहा, यहां पानी की ऐसी किल्लत है कि कुंए से बूंद-बूंद पानी इकट्ठा करके ही बाल्टी भरनी पड़ती है। यही पानी पीने और बाकी ज़रूरतों के लिए इस्तेमाल करना पड़ता है। ग्रामीण अब भी आशा में हैं कि शासन-प्रशासन उनकी तकलीफ़ों पर ध्यान देगा और गांव को कम-से-कम सड़क और स्वच्छ पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराएगा।

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