राहे (अबधेश महतो): भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के प्रखर नेता और भाकपा (माले) के संस्थापक महासचिव कॉमरेड चारू मजूमदार की 53वीं शहादत बरसी राहे प्रखंड के इडिसेरेंग गांव में श्रद्धा और संघर्ष के भाव के साथ मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत कॉमरेड चारू मजूमदार के चित्र पर माल्यार्पण और एक मिनट के मौन श्रद्धांजलि से हुई। इसके उपरांत केंद्रीय कमेटी द्वारा प्रस्तुत संकल्प पत्र का पाठ किया गया। जिला सचिव जगमोहन महतो ने अपने संबोधन में कहा कि 1947 में हासिल आजादी सिर्फ सत्ता हस्तांतरण नहीं था, बल्कि यह किसानों-मजदूरों की बराबरी, हक और संघर्ष की नींव पर टिका था। उन्होंने कहा कि चारू मजूमदार ने इन्हीं अधिकारों की लड़ाई का नेतृत्व किया। आज जब संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ जैसे शब्दों को हटाने की कोशिश हो रही है, बिहार में SIR वोटबंदी के ज़रिए गरीब-मेहनतकश वर्ग को मताधिकार से वंचित करने की योजना बन रही है, तब आम जनता को संविधान, नागरिकता और वोट के अधिकारों की रक्षा के लिए जनप्रतिरोध खड़ा करना होगा। शहादत दिवस के अवसर पर सुखदेव मुंडा, संतोष मुंडा, दिलीप मांझी, दामोदर प्रजापति, डोमन मुंडा, राजकिशोर लोहरा, योगेश्वर मुंडा, रामेश्वर मुंडा, विष्णुचरण मुंडा, राजू मुंडा, पंचू मुंडा, धीरज मुंडा, यदुराय मुंडा, जगमोहन मुंडा, सूर्यमोहन मुंडा आदि उपस्थित थे।